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लेखनी कहानी -24-Jan-2022

पीना मना है

सुनते लोगों से कि दैरो - हरम में पीना मना है
जिन्दगी कहती है तुम्हारे बिना जीना मना है ।

शराब ज़िन्दगी से भी ज्यादा मंहगी हो गई
मयखाने में भी अब तो हमारा जाना मना है ।

ए साकी पिला कोई ऐसा जाम कि मदहोश हो जाऊं
क्योंकि रह कर के प्यासा होश में आना मना है

मेरे साक़ी ने देकर ख़ाली पैमाना की है  बेवफाई
 मेरा जाम और मयख़ाना बदल पाना मना है ।

है ज़िन्दगी का मज़ा तो तेरी अश्वगिरी में
मगर *प्रेम* को तो तेरे करीब  आना मना है



दैरो - हरम ---मन्दिर और मस्जिद
अश्वगिरी --- लूभाने का अंदाज़


प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)

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